Sunday, 3 June 2018

लाल हरे
पीले रंगों भीगी
चूनर को धूप में सुखाएंगे,
तुम मन के
पंख खोल उड़ना
हम मन के पंख को छुपाएंगे, मन की हर
बंधी गाँठ खोलना
उस दिन तो दर्पण हो जाना।
बस एक ऐसा ही नजारा था नगर निगम अजमेर द्वारा आयोजित रंग लहर फेस वन एवं फेस टू का ।हर कलाकार वह बच्चा हो या प्रोफेशनल उस दिन अपनी बंधी गांठे खोलकर अपने सृजन के उच्चतम शिखर पर जाना चाहता था।उसके अंतरतम की सृजनात्मकता उस दिन दर्पण बन गई थी और हम आयोजकों की दृष्टा।इस रंग लहर ने जो सूक्ष्मआभास दिया वह अप्रतिम था।भिगो दिया दो अलग-अलग चरणों में हुए आयोजन ने लाल ,पीले ,हरे, हर रंग से,रूहानियत से।सृजन कैसा भी हो, वह मानस गढ़ना हो या चित्रकारी करना वह हमेशा पूर्णता का अहसास देता है,भिगो देता है रुहानियत से।

सृजन करना ऐसा होता है जैसे स्वयं माँ बनना और उसे करते हुए देखना ऐसा होता है जैसे पिता बन अपनी अर्धांगिनी को माँ बनते हुए देखना।कुछ ऐसा ही अहसास दिया मुझे रंग लहर के दोनों आयोजनों ने। पहले आयोजन में मैं 'दृष्टा' बनी तो दूसरे में स्वयं 'दृश्य' ।आनंद एवं श्रुति की प्रेरणा एवं सहभागिता से दूसरे फेस में हमने मिलकर पेंटिंग बनाई और सृजन का मातृत्व सुख महसूस किया। बहुत दिनों से मैं अपने इन सभी एहसासों को दर्ज कर देना चाहती थी पर कलम और मेरा समय साथ गुजारना मुश्किल सा हो चला है ।दोनों दिन बहुत से एहसास थे, आज शायद यहां कुछ ही दर्ज कर पाऊं फिर भी उन्हें लिखते हुए ही जादूई अहसास हो रहा है वैसा ही जादू जैसा इन पेंटिंग्स ने इस शहर की दीवारों पर किया है।
पहले फेस को जब हम प्लान कर रहे थे तब मैं बहुत डरी हुई थी कि क्या हम सफल होंगे पर पूरे दिल से किया गया प्रयास सफल हुआ, मुझे विश्वास नहीं था कि यह प्रयास इस अद्भुत घटना को जन्म देगा।

यहां पेंटिंग बनना और शहर का सौंदर्यीकरण होना ही महत्वपूर्ण नहीं है इस संपूर्ण आयोजन ने जिस आंदोलन का रूप लिया है वह अतुलनीय है जो संदेश सभी कलाकारों और बच्चों ने दिया है उसे केवल चित्रकारी कहकर छोटा नहीं किया जा सकता!
अमीर खुसरो कह गए हैं
'रैनी चढ़ी रसूल की सो रंग मौला के हाथ
जिसके कपड़े रंग दिए सो धन धन वाके भाग
फेस वन की थीम को हमने बालिका विद्यालय देखते हुए शेड्स ऑफ विमेन रखा था पर नारी जीवन के इतने चित्र इस रंगलहर में देखने को मिलेंगे वह कल्पना से परे था।मातृत्व से लेकर आधुनिक नारी तक हर आयाम को इसमें दिखाया गया जिस प्रकार छात्रों और फ्रीलांसर ने मिलकर एक मेले जैसा माहौल वहां बनाया, कम्युनिटी पार्टिसिपेशन का इससे बेहतर कोई उदाहरण नहीं हो सकता।250 से अधिक प्रतिभागी अपने शहर के लिए जिस शिद्दत से जुड़े वह अद्भुत था ,उसे देखना भी और महसूस करना भी।

फेस टू का आयोजन फेस वन से भी ज्यादा प्रभावी रहा यह पहले से बड़ा आयोजन बना पहले से अधिक प्रतिभागी जुड़े और उसने अधिक प्रखर संदेश छोड़ा।भारत के ऐतिहासिक पुरुषों के योगदान को दर्शाने से लेकर देश के आधुनिक विकास यात्रा ,चंद्रयान,कृषि विकास,डिजिटल इंडिया, क्लीन एनर्जी, सांप्रदायिक सद्भाव, हर विषय पर पेंटिंग बनाई गई।भारत की गंगा जमुनी तहजीब का हर रंग इन दीवारों पर दिख रहा था और अंदर ही अंदर यह मान बढ़ा रहा था कि मैं हिंदुस्तानी हूं।जब सारे पैनल बन जाने के बाद मैं देख रही थी तो मैं न केवल इन के सौंदर्य पर मंत्रमुग्ध थी पर आश्चर्यचकित थी यह सोच कर कि इन कलाकारों और बच्चों ने क्या अद्भुत कर दिया है।अनजाने में ही यह आयोजन बड़े सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बन गया है।

दीवारों पर एहसासों की, मोहब्बत की और विकास की इस यात्रा को लिखने में नगर निगम प्रशासन को और निजी रूप से मुझे बहुत सारे लोगों ने सहयोग दिया जिसमें ख्यातनाम फोटोग्राफर पृथ्वीराज फाउंडेशन से जुड़े दीपक शर्मा जी तथा लोक कला संस्थान के संजय सेठी जी का योगदान अमूल्य है। कमिश्नर सरका यहां यह idea की पार्टिसिपेंट्स को उन्हीं की पेंटिंग का फोटो फ्रेम दिया जाए वह भी बहुत पसंद किया गया। पहले सम्मान समारोह में कलाकारों का उत्साह देखने लायक था। मेयर सर का दोनों आयोजनों में विशेष आशीर्वाद रहा और वे बराबर सहभागी रहे।कलेक्टर सर के अमूल्य सुझाव जिन पर हमने फेस 2 में अमल भी किया वह अप्रतिम है।कुछ कलाकार भी हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर आयोजन में रहे जैसे प्रकाश नागौरा जी एवं उनके पुत्र, आकांक्षा शर्मा ,अलका शर्मा, सविता गर्ग ,सविता आर्य रितु शिल्पी ,नितिन एंड टीम, शेफाली जैन ।यह लिस्ट बहुत बड़ी है और सभी का योगदान अमूल्य है
वास्तव में इस जिंदा शहर की जिंदगानी ने सीना चौड़ा कर दिया है कि यह अहसास देकर कि मैं इसी शहर की हूं जहां एक ही आवाज पर इतने लोग जुड़ जाते हैं।साधुवाद सभी प्रतिभागियों को।जल्द ही नगर निगम कला कुंभ करने जा रहा है आशा है इसमें भी आपका सहयोग इसी तरह से मिलेगा।









सात दिन जब मैं मेरे साथ थी।
SPIC MACAY के प्रतिवर्ष होने वाले convention में कुछ साथी नियमित रूप से भाग लेते रहे हैं, मेरे विचार भी प्रतिवर्ष साम्यता महसूस करते थे की मुझे भी जाना है पर इस वर्ष सौभाग्य मिला जब सब कुछ अनुकूल था boss, leave balance और पारिवारिक-व्यक्तिगत परिस्थितियां भी।
IIT DELHI के campus में बीते सात दिन मेरे लिये किसी स्वप्न से कम नहीं थे,आश्रम जैसी दिनचर्या और संगीत एवं अध्यात्मिकता का अलौकिक अनुभव। शब्दों से परे भीतर की यात्रा।Image may contain: 6 people, people smiling, people standing and outdoor
गुरुवर् श्री प्रेम सागर जी से नाद योग की शिक्षा प्रातः 4 बजे से प्रारम्भ होकर यह यात्रा बढ़ती थी ध्रुपद की कक्षा तक।उस्ताद पद्म श्री फयाज़ुद्दीन डागर के  सानिध्य में  ध्रुपद सीखना........
यह अनुभव केवल spic macay का मंच ही दे सकता है।सुर,ताल ,आलाप जो आपको आधायात्मिक यात्रा पर ले जाए।
Spic macay के फाउंडर श्री किरण सेठ जी को सुनने से प्रारंभ हुए sessions निरंतर मुझे भीतर ही भीतर और जोड़ते गए।गिरिजा देवी,बेगम परवीना सुल्ताना और गुरबाणी गायक श्री अलंकार सिंह को सुनना यूँ था कि बुद्धि ,मन और आत्मा के सब भेद समाप्त हो गए हो,विचार शून्य...बस वह संगीत और आप स्वयं अपने ही साथ।विद्वान पद्म भूषण T N KRISHNAN के वायलिन की आवाज़ रूह की आवाज़ से कम न थी।उर्दू अदब में पढ़ा था "रूह की सदा"पर उसे महसूस किया इस CONCERT में।श्री भजन सोपोरी का संतूर वादन वह अनुभव था जिसने रोम खड़े कर दिए तो वारसी ब्रदर्स की कव्वाली उस गंगा जमुनी संस्कृति के उस किनारे ले गयी जो आज हमसे कुछ छूटती जा रही है।
मुझे अपने इंटेंसिव के साथ अलग अलग इंटेंसिव की classes में जाने का भी मौका मिला जो अलौकिक अनुभव था चाहे वो मधुबनी पेंटिंग की क्लास हो या फिर फड़ पेंटिंग की।तेलंगाना की चेरिल लोक कला हो या फिर राजस्थान की पिछवाई।रामसिंह जी की नया थिएटर की कक्षाओं का अपना आनंद था तो जैशे ला की बुद्धिज़्म की कक्षाओं का अपना।
भारत की विविध लोककलाओं ,संगीत ,नाट्यविधा,अध्यात्म के परिचय के साथ ही ये सात दिन भारत को समझने में भी बहुत सार्थक रहे,शायद ही कोई राज्य हो जिसके प्रतिनिधि इस कन्वेंशन में नही हो।सुदूर केरल और कोयम्बटूर से लेकर पिथोरागढ़,हिमाचल के साथियों से मिलना सचमुच स्वर्गीय अनुभव रहा।भारत राज्यों,गाँवों का समुच्चय भर नही पर हम सब के विभिन्न विचारों,आस्थाओं ,कलाओं,लोक संस्कृतियों और जीवन मूल्यों का समुच्चय है और इसका प्रत्यक्ष दर्शन हुआ इस कंवेंशन में।
अपने जीवन की उठापटक से दूर मुझे इस आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाने के लिए यह आंदोलन सच में साधुवाद का पात्र है।
अपने आनंदातिरेक के इन क्षणों की प्रेरणा का माध्यम spic macay आंदोलन यूँ ही निरंतर बढ़ता रहे और volunteership की भावना इसी ऊर्जा के साथ जिन्दा रहे इन्ही शुभकामनाओं के साथ।
ज्योति ककवानीImage may contain: 2 people, people standing
अजमेर(राजस्थान)।